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महाराष्ट्राचे विदारक चित्र: नवीन सरकारने बदल घडवून आणण्यासाठी जाहीर करावयाच्या दिशा - डॉ. रवींद्र रघुनाथ जाधव, राजकीय विश्लेषक

जगदीश का. काशिकर,
मुक्त पत्रकार व गुंतवणुक/रोजगार - नोकरी/कामगार समस्या/कायदे सल्लागार, मुंबई, महाराष्ट्र. व्हाटसअप – ९७६८४२५७५७

महाराष्ट्र हा देशातील सर्वांत प्रगत राज्यांपैकी एक मानला जातो. परंतु सध्या आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक, व शैक्षणिक क्षेत्रात महाराष्ट्राची झालेली स्थिती चिंताजनक आहे. गेल्या काही वर्षांतील प्रशासकीय व राजकीय निर्णयांच्या परिणामी राज्याची प्रगती मंदावली आहे. या पार्श्वभूमीवर, नव्या सरकारने महाराष्ट्रातील नागरिकांना कायम स्वरूपाची आश्वासने देण्याऐवजी ठोस कृती आराखडे जाहीर करायला हवे.
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*महाराष्ट्राचे आर्थिक स्थित्यंतर :
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महाराष्ट्राची एकूण जीडीपीमध्ये असणारी 15% वाटणी आता 13% वर घसरली आहे, तर गुजरातची वाटणी 7.5% वरून 8% वर गेली आहे. याचा स्पष्ट अर्थ असा आहे की, महाराष्ट्रातील प्रकल्प गुजरातला स्थलांतरित होत आहेत. उद्योग, वीज कंत्राटे, व रोजगाराच्या संधी गुजरातच्या दिशेने प्रवास करत आहेत.
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 *दहा लाख कोटींची गुंतवणूक व आठ लाख नोकऱ्या:
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महाराष्ट्राने गमावलेल्या प्रकल्पांमुळे 10 लाख कोटीचे प्रकल्प गुजरात मध्ये गेले. आणि सोबत आठ लाख रोजगार पण गेले. त्यामुळे महाराष्ट्रात रोजगाराच्या संधी कमी झाल्या, ज्यामुळे राज्यात बेरोजगारी वाढली आहे.
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 *औद्योगिक व उत्पादन वाढीतील घट :
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महाराष्ट्राची औद्योगिक वाढ 5.5% वरून 1.3% वर आली असून उत्पादन क्षेत्रात -1% ( मायनस 1%) म्हणजेच घसरलेली स्थिती आहे. अशा स्थितीत रोजगाराच्या नवीन संधी कशा निर्माण होतील, हा प्रश्न विचारला पाहिजे.
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 *प्रत्येक नागरिकावर 60,000 कर्ज:
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महाराष्ट्रावरील साडेसात लाख कोटी कर्ज हे आर्थिक व्यवस्थापनातील अपयश दर्शवते. या वाढत्या कर्जाचा भुर्दंड सामान्य जनतेवर पडत आहे. प्रत्येक नागरिकाच्या डोक्यावर 60,000 रुपयांचे कर्ज चढले आहे 
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*सामाजिक स्थिती:
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 महिला व बालसुरक्षा :
महाराष्ट्रात रोज सात बलात्कार होतात, आणि महिला विरोधी गुन्ह्यांच्या आकडेवारीत चिंताजनक वाढ झाली आहे. दरवर्षी 64,000 महिला व मुली बेपत्ता होत आहेत, आणि यातील अनेक प्रकरणे सुटत नाहीत.
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 *शेतकऱ्यांचे हाल:
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अंदाजे 71 लाख शेतकरी नुकसान भरपाईपासून वंचित आहेत. आत्महत्या करणाऱ्या शेतकऱ्यांच्या संख्येने महाराष्ट्र देशातील सर्व राज्यांच्या तुलनेत पुढे आहे.
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 *शिक्षण व आरोग्याचा अभाव :
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30,000 शिक्षकांची पदे रिक्त आहेत, तर आरोग्य क्षेत्रात 20,400 पदे रिक्त आहेत. परिणामी, शिक्षण व आरोग्य सुविधा ढासळल्या आहेत.
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*शासकीय वचनबद्धता:
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आत्तापर्यंत सत्ताधारी व विरोधी पक्ष फक्त घोषणाबाजी व आरोप-प्रत्यारोपांच्या पलीकडे गेले नाहीत. यामुळे जुने सरकार महाराष्ट्रातील कोणतेही प्रश्न प्रभावीपणे सोडवू शकले नाही, हे स्पष्ट होते.
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*नवीन सरकारचे जबाबदारीचे दिशा-निर्देश :
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नव्या सरकारने महाराष्ट्राचा उतारलेला आलेख बदलण्यासाठी ठोस उपाययोजना व कृती आराखडे सादर करायला हवेत. त्यासाठी पुढील मुद्द्यांवर प्राधान्य द्यावे लागेल:
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*१. औद्योगिक पुनरुज्जीवन :
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 *गमावलेले उद्योग परत आणण्यासाठी धोरणात्मक करार व सवलती द्याव्यात* .

 *लघु व मध्यम उद्योगांसाठी सबसिडी व प्रोत्साहनपर योजना आणाव्यात.*

 *नवीन तंत्रज्ञान व स्टार्टअप्सना भांडवली सहाय्य व प्रोत्साहन द्यावे* .
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*२. रोजगार निर्मिती:
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 *बेरोजगारांसाठी तातडीने ‘स्कील डेव्हलपमेंट’ कार्यक्रम राबवावा* .

*बंद पडलेल्या प्रकल्पांना पुनरुज्जीवित करून रोजगाराच्या संधी निर्माण कराव्यात* .

 *महाराष्ट्रात खासगी व शासकीय नोकरभरतीच्या वेळापत्रकात नियमितता आणावी* .
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*३. कृषी क्षेत्र सुधारणा :
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 *शेतकऱ्यांसाठी हमीभाव सुनिश्चित करण्यासाठी धोरणात्मक उपाययोजना कराव्यात*.

 *सिंचन प्रकल्प पूर्ण करुन शेतकऱ्यांना पाणी पुरवठा सुनिश्चित करावा* .

 *पीक विमा योजना प्रभावीपणे राबवून नुकसान भरपाई लवकर मिळवून द्यावी* .
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*४. शिक्षण व आरोग्य क्षेत्राचा विकास:
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 *शाळांसाठी रिक्त पदे त्वरित भरून शिक्षणाचा दर्जा सुधारावा* .

 *नवीन शाळा व महाविद्यालये उघडून शैक्षणिक सुविधा वाढवाव्यात.*

 *आरोग्य क्षेत्रातील रिक्त पदे त्वरित भरून जिल्हास्तरावर सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल्स स्थापन करावीत* .
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*५. महिला व बालसुरक्षा:
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:*प्रत्येक जिल्ह्यात महिलांसाठी ‘सुरक्षा सेल’ स्थापन करावा* .

 *लैंगिक अत्याचार व गुन्ह्यांसाठी जलदगती न्यायालयांची निर्मिती करावी* .
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*६. रस्ते व पायाभूत सुविधा :
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 *मुंबई-गोवा महामार्ग त्वरित पूर्ण करण्यासाठी विशेष पथक स्थापन करावे* .

 *सार्वजनिक वाहतूक व्यवस्थेचे आधुनिकीकरण व विस्तार करावा* .
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*७. शाश्वत ऊर्जा धोरण :
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 *महागडी वीज रोखण्यासाठी स्वस्त व शाश्वत ऊर्जा प्रकल्प उभारावेत* .

 *सौर व पवन ऊर्जेच्या प्रकल्पांवर भर द्यावा* .
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*जुनेच सरकार आले : जबाबदारी स्वीकारावी*
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महाराष्ट्रातील सद्यस्थिती ही गेल्या सरकारच्या चुकीच्या धोरणांची परिणती आहे. असे म्हणावे का? जुने सरकार तेच आता नव्याने आले आहे. त्यांनी पुढील प्रश्नांची उत्तरे जनतेसमोर स्पष्ट करायला हवीत:

 *उद्योग व प्रकल्प स्थलांतरित होण्यास का आळा घालता आला नाही?*

 *बेरोजगारी कमी करण्यासाठी कोणती ठोस पावले उचलली गेली?*

 *शेतकरी आत्महत्यांवर प्रभावी उपाययोजना का केल्या गेल्या नाहीत?*

 *महिला व बालसुरक्षेसाठी कोणते निर्णायक उपाय करण्यात आले?*
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*निष्कर्ष :
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महाराष्ट्राचे विदारक चित्र बदलण्यासाठी नव्या सरकारने प्रभावी व पारदर्शक पद्धतीने काम करणे गरजेचे आहे. राजकीय आकस बाजूला ठेवून, नागरिकांच्या समस्या सोडवणे हे प्राधान्यक्रम ठरले पाहिजेत.

जर नव्या सरकारने ठोस कृती आराखडे आखले नाहीत, तर महाराष्ट्राची पुढील पाच वर्षांची वाटचाल अधिकच कठीण होईल. महाराष्ट्राच्या प्रगतीचा आलेख पुन्हा उंचावण्यासाठी हेच या वेळेचे महत्त्वाचे आवाहन आहे.
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